हे ईश्वर मैं हूँ आपके शरण
मैं भक्ति भाव से प्राथना करती हूँ
मुझे ईश्वर का इंतज़ार हैं
पाने को दर्शन
मेरे घर -आँगन का द्वार खुला हैं
ईश्वर आने को
राह देख रहे हैं मेरे नयन
पाने को दर्शन
ध्यान में मेरा तन -मन हो गाया हैं मगन
मैं ईश्वर की हो चुकी हो भक्तन
मुझे ईश्वर का इंतज़ार हैं पाने को दर्शन
मै हाथ में फूल और जल लिए खड़ी हूँ
राह मेंआँखें बिछाये
मेरे भगवान ॥डमरू ..त्रिशूल लेकर आयेंगे
मेरे घर के द्वार तक
ईश्वर का मुझे इंतज़ार हैं पाने को दर्शन
मेरा मन और तन कुछ भी नही हैं
में ..ईश्वर के हो गयी हूँ अधीन
और कुछ नही रहेगा केवल आकाश ,अग्नि ,जल ,हवा और पृथ्वी सब रहेंगे
मैं ॥मैं नहीं हूँ एक आत्मा हूँ .......
शिव जी की भक्त हूँ
मेरा नाम हैं भक्त वत्सला
मैं एकांत का मन
हूँमैं आनंद का स्वरूप
हूँमैं सत्य की पूर्णता हूँ
मेरे हृदय में प्रकाश हैं
ईश्वर का वास हैं
ज्योतिर लिंग का उजाला हैं
मैं सत हूँ
मै चित्त हूँ
मैं आनंद हूँ
मैं सुख हो या दुःख हर समय उपस्थित हूँ
मैं मिट्टी की प्रतिमा हूँ
उसमें मैं संचरित हुआ -प्राण हूँ
मैं अनंत ,अनंत काल तक
आदी देव ..शिव -शिवा हूँ
ईश्वर मैं हूँ आपके शरण
मैं भक्ति भाव से प्राथना करती हूँ
मुझे ईश्वर का इंतज़ार हैं पाने को दर्शन
मेरे घर -आँगन का द्वार खुला हैं
ईश्वर आने
को राह देख रहे हैं .........मेरे नयन
पाने को दर्शन
*बरखा ज्ञानी
darshan jarur milega sir.......
ReplyDeletesunder bhaav
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